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अरे नासमझ

  • Writer: Karan
    Karan
  • May 7, 2018
  • 1 min read




हम शब्दों से झगड़ते रह गए, और तुम इतने नादान

की ख़ाली पन्नों को हीं मेरी दास्ताँ समझ बैठे

 
 
 

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