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Writer's pictureKaran

चाँद पर बैठी बुढ़िया



अब रात को तारे नहीं दीखते हैं माँ

अब चाँद पर बैठी तुम्हारी वह बूढी नानी नहीं दिखती

तकिये के नीचे अब कोई सरोपा भी नहीं रखता हैं

शायद इसलिए अब रात को नींद भी नहीं आती

माँ ,एक बार फिर सुनाओ न वह कहानी

जिसमे राजा ने राक्षस से लड़ कर

बचा ली थी रानी की जान

एक बार फिर सुनाओ न माँ

शायद इस बार रात नींद आ हीं जाये

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